वस्तु या सेवाओं में समय के साथ होने वाली बढ़ोतरी को महंगाई या मुद्रास्फीति कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पहले अगर कोई सामान 1000 में 5 किलो आती थी, लेकिन अब वही सामान 1050 में 5 किलो आती है। तो यह ₹50 बढ़ गया सामान्य वृद्धि को महंगाई कहा जाता है।
मुद्रास्फीति की गणना करने के लिए 1 वर्ष को सापेक्ष मान लिया जाता है। उसी सापेक्ष वर्ष के अनुसार महंगाई की गणना हर वर्ष की जाती है। इसके निर्धारण में कई सारे सामानों/सेवाओं की मूल्यों को एक साथ किया जाता है और उनका एवरेज निकाल लिया जाता है। अगर कोई वस्तु या सेवा बहुत ज्यादा जरूरी हो तो उसे अलग से वेटेज भी दिया जाता है ताकि मुद्रास्फीति निर्धारण में कोई गलती ना है।
निर्धारण का फार्मूला
यह गए उदाहरण से अगर समझें तो
(1050 _1000)/1000*100=5%
ऊपर दिए गए डाटा के अनुसार इन्फ्लेशन 5 परसेंट है।
आखिर क्यों होते हैं इन्फ्लेशन
- बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण मांग बढ़ जाते हैं, जिससे आपूर्ति घट जाती है। इसी आपूर्ति को पूरा करने के लिए लोग ज्यादा दाम देने लगते हैं, जिसके कारण महंगाई बढ़ जाती है।
- जमाखोरी के कारण कभी वस्तु एवं सेवाएं महंगी हो जाती हैं।
- अगर किसी वर्ष किसी वस्तु या सेवाओं के उत्पादन में कोई कमी रह गई हो तो मांग की पूर्ति नहीं की जा सकती। लेकिन मांग बनी रहती है लेकिन आपूर्ति नहीं हो पाती फलस्वरूप महंगाई बढ़ जाती है जिसे इन्फ्लेशन के तौर पर देखा जाता है
इन्फ्लेशन के प्रभाव
अभी तक जो हम लोग समझ पाए हैं, मुद्रास्फीति एक मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी है। इस मुद्रा के क्रय शक्ति में कमी के कारण हम किसी भी सेवा हो या सामानों को कम खरीद पाएंगे।
मुद्रास्फीति बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों और क्रांतियों को जन्म दे सकती है। उदाहरण के लिए 2010 एवं 11 में हुई ट्यूनीशिया एवं मिश्र की क्रांति को देखा जा सकता है। अभी हाल ही में श्रीलंका में भी इसके उदाहरण देखे गए हैं।
आखिर कैसे बचा जा सकता है इस इन्फ्लेशन से
अति हुई जनसंख्या की वृद्धि को रोका तो नहीं जा सकता हां लेकिन उसका फायदा जरूर उठाया जा सकता है। इस बढ़ी हुई आबादी को बसने के लिए बहुत से भूभाग की जरूरत है।
- आप अपने पैसे को इस रियल स्टेट में लगाकर उसे इन्फ्लेशन से बचा सकते हैं ।
- आप किसी कंपनी के बांड खरीद सकते हैं।
- शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं।